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और दवा बन गई दारू
गोपालगंज, कार्यालय संवाददाता : चौंकिए नहीं! बदली व्यवस्था में दवा भी अब दारू बन गयी है। जी हां अब शहरी क्षेत्र के युवा दवाओं को नशे के रूप में ले रहे हैं और इसी का कारण है कि बाजार से कोरेक्स, फेंसीडील तथा फोर्टवीन जैसी दवा गुम हो गयी है। हाइटेक जमाने में युवा वर्ग के लोगों ने नशे के लिए नए तरीकों का इजाद कर लिया है।
सोमवार को नगर के एक दवा दुकान पर चार युवक जमा थे। चार में से तीन युवक कोरेक्स तथा एक युवक फेंसीडील नामक दवा की मांग दुकानदार से कर रहा था जबकि दवा दुकानदार बार-बार यहीं कह रहा था कि दवा खत्म हो गयी है। थककर युवक चले गये।
जब जागरण टीम ने इस संदर्भ में दवा दुकानदार से पूछताछ की तो पता चला कि चारों युवक कफ सीरप के रूप में इस्तेमाल होने वाली उक्त दवा को नशाखोरी के लिए मांग रहे थे। जब जागरण ने शहर की दवा दुकानों से जानकारी लेनी चाही तो यह आंकड़ा चौंकाने वाले मिले। पूरे शहर में फेंसीडील नामक कफ सीरप गायब था। यदि किसी दुकान में मिल भी गई तो दुकानदार उसे चुराकर रखे हुए हैं।
एक अध्ययन बताता है कि गोपालगंज जिले में भी युवा दवा को दारू के रूप में इस्तेमाल करने लगे हैं। इसके लिए युवक उन दवाओं को चुनते हैं जिनमें कोडीन फास्फेट अधिक होती है। कोडीन को नशे के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। शहर से कोरेक्स तथा फेंसीडील नामक कफ सीरप तथा फोर्टवीन नामक इंजेक्शन का इस्तेमाल दवा नहीं बल्कि दारू (नशे) के रूप में होता है। इसके अलावा आयोडेक्स को ब्रेड के साथ मिलाकर युवक नशे के आदि हो गये हैं। इन दवाओं के अधिक इस्तेमाल से कई घातक बीमारियों को भी युवक न्यौता दे रहे हैं।
इस संबंध में जब सिविल सर्जन से संपर्क किया गया तो उन्होंने बताया कि युवकों में नशे के लिए इन दवाओं के प्रयोग के बारे में आधिकारिक रूप से उन्हें कोई जानकारी नहीं है।